Constitution Assembly-संविधान सभा
संविधान सभा
संविधान सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 थी |
जिनमे निर्वाचित सदस्यों की संख्या 296 थी जिनका चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा एकल संक्रामणीय प्रणाली द्वारा किया गया था |
292 प्रान्तों से और 4 चीफ कमिश्नरी से लिए गए |
मनोनीत सदस्यों की संख्या 93 थी देशी नरेशों द्वारा मनोनीत थे |
निर्वाचित सदस्यों में 208 कांग्रेस के 73 मुस्लिम लीग के अन्य 15 थे |
सर्वाधिक सदस्य सयुक्त प्रान्त U.P. से चुनकर आये जिनकी संख्या 55 थी |
महिला सदस्यों की संख्या 9 थी |
राजस्थान से 12 सदस्य चुने गए |
जिनमे निर्वाचित सदस्यों की संख्या 296 थी जिनका चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा एकल संक्रामणीय प्रणाली द्वारा किया गया था |
292 प्रान्तों से और 4 चीफ कमिश्नरी से लिए गए |
मनोनीत सदस्यों की संख्या 93 थी देशी नरेशों द्वारा मनोनीत थे |
निर्वाचित सदस्यों में 208 कांग्रेस के 73 मुस्लिम लीग के अन्य 15 थे |
सर्वाधिक सदस्य सयुक्त प्रान्त U.P. से चुनकर आये जिनकी संख्या 55 थी |
महिला सदस्यों की संख्या 9 थी |
राजस्थान से 12 सदस्य चुने गए |
संविधान निर्माण की प्रक्रिया
प्रथम अधिवेशन 9 दिसम्बर 1946 को हुआ था |
इस अधिवेसन में डा. सचिदानन्द सिन्हा को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया जिनके नाम का प्रस्ताव जयंती बल्लव कृपलानी ने रखा था |
बी. एन. राव को इसका संवेधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया |
मुस्लिम लीग और हैदराबाद रियासत से कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं हुआ |
दूसरा अधिवेशन 11 दिसम्बर 1946 को हुआ
इस अधिवेशन में डा. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया |
तीसरा अधिवेशन 13 दिसम्बर 1946 को हुआ था |
पं. जवाहर लाल नेहरु ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया |
सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने इसे संविधान सभा के सदस्यों के समक्ष पढ़ कर सुनाया |
8 दिनों तक विचार विमर्श के बाद इसे स्वीकार किया गया |
इन उद्देश्य प्रस्तावों को ही संविधान की प्रस्तावना के नाम से जाना जाता है |
इस प्रस्तावना को संविधान का ह्रदय और आत्मा कहा जाता है |
प्रथम अधिवेशन 9 दिसम्बर 1946 को हुआ था |
इस अधिवेसन में डा. सचिदानन्द सिन्हा को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया जिनके नाम का प्रस्ताव जयंती बल्लव कृपलानी ने रखा था |
बी. एन. राव को इसका संवेधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया |
मुस्लिम लीग और हैदराबाद रियासत से कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं हुआ |
दूसरा अधिवेशन 11 दिसम्बर 1946 को हुआ
इस अधिवेशन में डा. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया |
तीसरा अधिवेशन 13 दिसम्बर 1946 को हुआ था |
पं. जवाहर लाल नेहरु ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया |
सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने इसे संविधान सभा के सदस्यों के समक्ष पढ़ कर सुनाया |
8 दिनों तक विचार विमर्श के बाद इसे स्वीकार किया गया |
इन उद्देश्य प्रस्तावों को ही संविधान की प्रस्तावना के नाम से जाना जाता है |
इस प्रस्तावना को संविधान का ह्रदय और आत्मा कहा जाता है |
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