प्रतियोगिता परीक्षा हेतु कोचिंग इंस्टीट्यूट का चयन
 प्रतियोगिता परीक्षाओं का स्तर और उनकी प्रकृति चूंकि सामान्य बोर्ड परीक्षाओं से अलग होती है, इसीलिए उन्हें अपने दम पर पास कर लेना आसान नहीं होता। यह आसान हो सकता है जब उन परीक्षाओं के लिए आपको बेहतर गाइडेंस यानी कोचिंग मिल रही हो। इस संदर्भ में हमारा पहला सवाल यह हो सकता है कि क्या प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में कोचिंग लेना आवश्यक है अथवा नहीं ? अगर जवाब ‘है’ में हो तो स्वतः दूसरा सवाल मन में उठता है कि आखिर कोचिंग संस्थान कैसा हो, तथा उसका चुनाव कैसे व किस मापदंड पर करें ?
   कोचिंग चुनते समय छात्र अपने दोस्तों, परिचितों के कहने पर या फिर पहले से प्रतिष्ठित कोचिंग आदि को यूं ही चुन लेते हैं। लेकिन गुणवत्ता और  फैकल्टी ऐसे पैमाने हैं, जिन पर ध्यान देना चाहिए।
    एक कोचिंग संस्थान में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता का अर्थ है कि जो वायदा वह कोचिंग करती है, उसे कितना निभा रही है। क्यों कि यही वह फैक्टर है, जो कि आपके लिए भी लाभदायी साबित होगा। इन सबको समझने के लिए कोचिंग संस्थान में पढ़ाया जाने वाला मैटीरियल क्या है, पढ़ाने का तरीका कितना प्रभावी है, फैकल्टी कैसी है आदि महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानना चाहिए।
·                     संस्थान में फैकल्टी प्रतिष्ठित और अनुभवी है या नहीं,, इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए। कुछ संस्थान ऐसे होते हैं। जिनमें गेस्ट फैकल्टी के तौर पर अच्छे इंस्टीट्यूट्स के लेक्चरर्स बुलाए जाते हैं। इससे बहुत लाभ मिलता है।  वह संस्थान अच्छे रिजल्ट देते हैं।
·                     कोचिंग में विषयों की छद्म परीक्षा ली जाती है या नहीं तथा कितनी बार ली जाती है ।
·                     समूह-चर्चा या ग्रुप डिस्कक्शन होता है या नहीं।
·                     अभ्यास कराया जाता है या नहीं।
·                     कोचिंग संस्थान में कभी-कभी सेमिनार या व्यक्तित्व निर्माण और आत्म-विश्वास में वृद्धि हेतु विद्वानों या सफल प्रत्याशियों से मिलने-जुलने की कार्यशाला आयोजित होती है या नहीं।
·                     कोचिंग संस्थानों में छात्रों को बैच में बांटकर पढ़ाया जाता है। एक-एक बैच में 30 से लेकर 120 तक छात्र शामिल हो सकते हैं। हर एक छात्र इस उम्मीद से जाता है कि उसे सफल होना है। एक बैच में बहुत ज्यादा बच्चों को पढ़ाने का मतलब है कि हर बच्चे पर टीचर का ध्यान नहीं जा पाएगा। बैच में छात्रों की संख्या के साथ इस पर भी ध्यान देना चहिए।
·                     किसी भी काम को करने से पहले यह जांच लेना कि आपमें उस काम के लायक बेसिक क्षमताएं हैं कि नहीं। अच्छा कोचिंग संस्थान इस बात का ध्यान रखता हैं।
ज्ञान का क्षेत्र अनंत है, सीमित समय में चुनाव की कसौटी क्या हो, यहीं विषय-विशेषज्ञ की भूमिका अत्यन्त महत्पूर्ण हो जाती है।सुयोग्य विशेषज्ञ कम समय में आपको विषय में अधिकारिक दक्षता दे सकता है, लेक्चर्स के साथ-साथ उसका डिक्टेशन भी लें, इससे विषय पर आपकी पकड़ मजबूत होती जाएगी। पिछले वर्षों में पूछे गये सवालों पर विस्तृत चर्चा करें, अध्यापक समक्ष ग्रुप डिस्कशन करें।
उपरोक्त जानकारी लेने के बाद प्रत्याशी अगर अपने को संतुष्ट पाता है तो वह ऐसे सुविधा सम्पन्न कोचिंग संस्थान में दाखिला ले सकता है तथा उससे लाभ भी उठा सकता है। अन्त में यही कहना सबसे उपयुक्त होगा कि कठिन परिश्रम, स्पष्ट रणनीति तथा स्वअध्ययन का कोई विकल्प नहीं। फिर भी प्रत्याशियों के सही मार्गदर्शन, विषयों पर शीघ्रता से पकड़ आदि जरूरतों की पूर्ति कई बार कोचिंग संस्थान से मिले उचित सहयोग से पूरी हो जाती है और इससे छात्रों के समय की भी बचत होती हैं। प्रवेश/प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने के लिए कोचिंग संस्थान की भूमिका इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितने हद तक प्रत्याशियों की जरूरतों के अनुकूल कार्य कर रहा है। स्मार्टवे कॅरियर & पर्सनेलि‍टी डेवलपमेंट  सेंटर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के मार्ग में एक अच्छा साधन हो सकता है।

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