आपका व्यक्तित्व और साक्षात्कार

रोजगार की तलाश में निकले शिक्षित युवाओं को जितनी मेहनत लिखित परीक्षा और उसकी तैयारी के संदर्भ में करनी पड़ती है, उससे कहीं ज्यादा सावधानी उन्हें साक्षात्कार यानी इंटरव्यू के दौरान बरतनी पड़ती है।
 प्रत्येक नियोक्ता, कंपनी अथवा उपक्रम यानी इंटरव्यू कमेटी यह जरूर देखती है कि संबंधित पद के लिए वह जिस अभ्यर्थी का चयन कर रही है वह उसके लिए कितना उपयुक्त है। उसका व्यक्तित्व कैसा है यानी देखने में कैसा है। उसकी भाषा शैली कैसी है वगैरह-वगैरह। इसलिए प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आपका व्यक्तित्व न सिर्फ दूसरों के सामने आपको प्रभावी बनाता है बल्कि आपकी सफलता भी सुनिश्चित करता है। इसके लिए आपको निम्न बिंदुओं पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
  अहम पूँजी हैं आत्मविश्वासः- आपके व्यक्तित्व पर आत्मविश्वास की स्पष्ट छाप होनी चाहिए। कहने का मतलब यह है कि आपकी प्रत्येक गतिविधि में आपका आत्मविश्वास झलकना चाहिए। आत्मविश्वास आपकी सबसे अहम पूँजी है। आपके चेहरे पर झलकने वाला आत्मविश्वास सामने वाले को यह जता देता है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति कितने सजग और प्रयत्नशील हैं। अपने काम के प्रति आपकी लगन और समर्पण का पैमाना क्या है।

इंटरव्यू के समय नियोक्ता कंपनी या उपक्रम के प्रतिनिधि अभ्यर्थी के समूचे व्यक्तित्व का आकलन करते हैं। वे यह जानने-समझने की पूरी कोशिश करते हैं कि संबंधित पद के लिए जो भी अभ्यर्थी उनके सामने बैठा है, वह कार्य निष्पादन के वक्त आने वाली चुनौतियों का सामना करने के योग्य है अथवा नहीं।
चलने-बैठने के तरीका :- बहुधा लोग काबिल और अपने क्षेत्र में पारंगत तो होते हैं लेकिन उनके उठने, बैठने और चलने का तौर-तरीका कुछ चालू किस्म का होता है। करियर बनाने की दिशा में, प्रयासरत युवाओं के लिए यह बात बेहद नुकसानदेह है। कब बैठना और कैसे उठना है तथा बाहर आना है आदि बिंदु आपके लिए खासे महत्वपूर्ण हैं। इनका भलीभाँति ध्यान रखना चाहिए। चलने, बैठने और उठने के सभ्य तरीके आपके व्यक्तित्व में चार चाँद लगाते हैं। इसलिए सारी बातों के साथ इस बिंदु पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
दबा-दबा सा न हो बोलचाल का लहजाः- युवाओं में अकसर एक कमी यह पाई जाती है कि वे अपने विषय में पारंगत तो होते हैं उनके सामान्य ज्ञान का स्तर भी सुपर होता है लेकिन बोलचाल का उनका हलका और दबा-दबा सा लहजा उनकी सारी काबिलियत को धो देता है। बातचीत के दौरान आधी बात उनके मुँह में ही रह जाती है। हकलाहट की बीमारी ने होते हुए भी जवाब देते समय उनकी जुबान लड़खड़ाने लगती है और सारे किए धरे पर पानी फिर जाता है। इस स्थिति से बचना चाहिए।
अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो आप स्वयं प्रश्न उत्तर बनाकर उनका अकेले में अथवा अपने मित्रों के साथ अभ्यास कर सकते हैं। इससे आपकी झिझक खत्म होगी और इंटरव्यू के दौरान आप अपनी बात सहज भाव से सबके सामने रख सकेंगे।
भाषा पर रखें पकड़ :- साक्षात्कारकर्ताओं के साथ बातचीत करते समय आप चाहे जिस भी भाषा का प्रयोग करें लेकिन इतना ध्यान रखें कि उस भाषा पर आपकी पूरी पकड़ होनी चाहिए। हिंदी हो या अंग्रेजी, भाषा पर आपकी पकड़ आपकी स्थिति मजबूत करती है। मिश्रित भाषा का प्रयोग करते समय आपको यह ध्यान रखना होगा कि किस जगह किस भाषा या शब्द का प्रयोग उचित है।
इंटरव्यू हो या सामान्य जीवन की दैनिक बातचीत, अधकचरी भाषा का प्रयोग आपके व्यक्तित्व को कमजोर करता है, सामने वाला यह सोचने पर विवश हो जाता है कि आपको संबंधित भाषा का ज्ञान नहीं है, बस आप सिर्फ हाँके जा रहे हैं। बाद में यानी पीठ पीछे लोग ऐसे शख्स की खिल्ली उड़ाने से भी बाज नहीं आते। इसलिए जरूरी है कि हम या आप उसी भाषा का प्रयोग करें, जिसकी हमें या आपको पूरी जानकारी हो।
 व्यक्तित्व के निर्धारण में पहनावा है खास :- बतौर पोशाक आप क्या पहनना अधिक पसंद करते हैं, यह बिंदु आपके व्यक्तित्व के निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है। आमतौर पर इंटरव्यू के लिए जाते समय लोग कमीज, पतलून और टाई का प्रयोग करते हैं। सर्दियों में सूट को भी तरजीह दी जाती है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप टाई बांधे ही बल्कि सिर्फ कमीज-पतलून ही पहना जा सकता है।
कहने का आशय यह कि कभी-कभी कुछ युवा टाई में खुद को असहज महसूस करते हैं। इंटरव्यू में पहनावे की शर्त महज इतनी होती है कि वे ऑफिस वीयर हों। पिकनिक वाली पोशाक कतई इस्तेमाल नहीं की जानी चाहिए। सिर्फ कमीज-पतलून में आप खुद को परफेक्ट और सहज महसूस कर सकते हैं। इससे आप इंटरव्यू के समय भटकेंगे नहीं। आपकी पोशाक आपका ध्यान भंग नहीं कर सकेगी।

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